कहानी: गंभीर और रियलिस्टिक फिल्में बनाने वाले मधुर भंडारकर ने 'दिल तो बच्चा है जी' के जरिए अपने करियर की पहली कॉमेडी बनाई है। फिल्म उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर खड़े तीन युवकों की कहानी है जिन्हें अपने प्यार की तलाश है। तीनों की जिंदगी में लड़कियां आती हैं और उन्हें प्यार हो जाता है। मगर क्या इन तीनों के प्यार को मंजिल मिल पाती है। फिल्म की कहानी इसी थीम के इर्द-गिर्द घूमती है।
फिल्म में अजय देवगन ने बैंक मैनेजर नरेन की भूमिका निभाई है जिसे अपने ऑफिस में आई नई इन्टर्न पिंटो (शजान पद्मसी)से प्यार हो जाता है। 'थ्री इडियट्स' में चतुर रामलिंगम की भूमिका निभा चुके ओमी वैद्य भी एक दिलचस्प किरदार में नजर आएंगे। इसके अलावा इमरान हाशमी भी अपनी चिर परिचित प्लेबॉय की इमेज में श्रुति हसन को इंप्रेस करते नजर आएंगे।
स्टोरी ट्रीटमेंट: कहानी में कोई नयापन नहीं है। मगर फिर भी आपको बांधे रहती है। फिल्म एक रोमांटिक कॉमेडी जरुर है मगर इसमें मधुर की छाप साफ़ नजर आती है। उन्होंने कॉमेडी को भी रियलिस्टिक टच देने की कोशिश की है।
निर्देशन:मधुर की यह फिल्म पूरी तरह से आम दर्शकों के लिए है। फैशन, चांदनी बार जैसी अलग हटके फिल्में बना चुके मधुर से दर्शकों को कुछ ज्यादा की उम्मीद थी मगर फिल्म इस उम्मीद पर खरी उतरती नजर नहीं आती।
स्टार कास्ट:फिल्म में सभी कलाकारों ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की है। अजय देवगन ने 38 साल के युवक की भूमिका में बढ़िया काम किया है जो तलाक के बाद अकेला है और अपने ऑफिस की एक मासूम लड़की से प्यार कर बैठता है। इमरान हाशमी अपने चिर परिचित अंदाज में हैं। ओमी वैद्य ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। श्रुति हसन का रोल बहुत ही छोटा है और फिल्म में उनके करने लायक कुछ खास नहीं है। श्रद्धा दास ने गुनगुन सरकार के किरदार में जान डाल दी है।
म्यूजिक/सिनेमाटोग्राफी/डायलॉग्स:फिल्म में प्रीतम का संगीत मधुर है और कुछ गाने काफी अच्छे हैं। सिनेमाटोग्राफी,एडिटिंग पर थोड़ा और काम किया जाता तो फिल्म दिलचस्प हो सकती थी। डायलॉग्स भी प्रभावी नहीं हैं।
क्यों देखें:अगर आप रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं और मधुर की निर्देशन स्टाइल के कायल हैं, तो फिर फिल्म आपके लिए है।
Thursday, February 3, 2011
'दिल तो बच्चा है जी'
Posted by Admin on 3:06 PM
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